जिजा-साली की प्रेम कहानी || romantic story in hindi || hindi Kahaniya

जिजा-साली की प्रेम कहानी || romantic story in hindi || hindi Kahaniya 





लखनऊ की संकरी गलियों में बसी एक पुरानी हवेली में, जहाँ हर कोने में इतिहास की खुशबू बसी थी, रिया अपनी दीदी अनन्या के ससुराल में पहली बार कदम रख रही थी। रिया, एक ज़िंदादिल, हँसमुख और थोड़ी शरारती लड़की थी, जो अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद दीदी की शादी की पहली सालगिरह के मौके पर उनसे मिलने आई थी। अनन्या की शादी पिछले साल अक्षय के साथ हुई थी, और रिया ने अपनी दीदी की नई ज़िंदगी को करीब से देखने की ठानी थी।


अक्षय, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, अपनी सादगी और गंभीर स्वभाव के लिए जाने जाते थे। लेकिन रिया ने सुना था कि उनके जिजाजी में एक खास तरह का हास्य भी था, जो सिर्फ़ खास लोगों के सामने ही बाहर आता था। रिया ने मन ही मन सोचा, "देखते हैं, ये जिजाजी कितने मज़ेदार हैं!"


जैसे ही रिया हवेली के आंगन में पहुँची, उसकी नज़र अक्षय पर पड़ी। वो एक पुराने नीम के पेड़ के नीचे खड़े होकर किसी से फोन पर बात कर रहे थे। उनकी गहरी आवाज़ और हल्की मुस्कान ने रिया का ध्यान खींचा। "हम्म, दीदी की पसंद तो अच्छी है," उसने मन में सोचा और एक शरारती मुस्कान के साथ अंदर चली गई।



शाम को सालगिरह की पार्टी थी। रिया ने अनन्या के साथ मिलकर पूरे घर को सजाया। रंग-बिरंगे फूल, झालरें, और दीयों की रोशनी ने हवेली को किसी दुल्हन की तरह सजा दिया था। मेहमानों की भीड़ में रिया की मुलाकात आख़िरकार अक्षय से हुई।


"तो तुम हो रिया, अनन्या की छोटी बहन?" अक्षय ने हल्के से मुस्कुराते हुए पूछा।


"जी जिजाजी, वही हूँ। और आप तो वैसे ही हैं जैसे दीदी ने बताया था," रिया ने चंचल अंदाज़ में जवाब दिया।


"क्या बताया था?" अक्षय ने भौंहें उठाते हुए पूछा।


"यही कि आप बहुत सीरियस हैं, लेकिन थोड़ा मज़ा भी कर लेते हैं," रिया ने हँसते हुए कहा।


अक्षय भी हँस पड़े। उनकी हँसी में एक अजीब सी गर्माहट थी, जो रिया को तुरंत भा गई। उस रात, पार्टी में दोनों की बातचीत छोटी-छोटी शरारतों और हल्के-फुल्के मज़ाक तक सीमित रही। लेकिन रिया को लगा कि अक्षय में कुछ ऐसा था, जो उसे बार-बार उनकी ओर खींच रहा था।


नज़दीकियाँ बढ़ती हैं


पार्टी के बाद रिया कुछ दिन और रुकने का फैसला किया। अनन्या को अपनी छोटी बहन के साथ वक्त बिताने का मौका मिला, और अक्षय भी इस नई मेहमान की मौजूदगी से घर में एक अलग सी रौनक महसूस कर रहे थे। रिया की शरारतें और उसका बिंदास अंदाज़ घर के माहौल को और जीवंत कर रहा था।






एक सुबह, जब अनन्या अपने ऑफिस के लिए निकल गई थीं, रिया और अक्षय घर में अकेले थे। रिया ने देखा कि अक्षय अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहे थे। वो चुपके से उनके पास गई और बोली, "जिजाजी, आप सारा दिन बस कोडिंग करते रहते हैं? कभी बाहर भी निकलते हैं?"


अक्षय ने लैपटॉप से नज़र हटाए बिना कहा, "हाँ, निकलता हूँ। लेकिन आजकल थोड़ा बिज़ी हूँ। वैसे, तुम्हें क्या करना पसंद है?"


रिया ने थोड़ा सोचकर कहा, "मुझे पुरानी चीज़ें देखना पसंद है। जैसे ये हवेली, इसका हर कोना कुछ कहता है। क्या आप मुझे इसके बारे में बता सकते हैं?"


अक्षय ने लैपटॉप बंद किया और मुस्कुराते हुए कहा, "चलो, फिर तुम्हें हवेली का दौरा करवाता हूँ।"


उस दिन, अक्षय ने रिया को हवेली के हर कोने की कहानी सुनाई। पुराने चित्रों से लेकर दादी माँ की पुरानी अलमारी तक, हर चीज़ के पीछे एक कहानी थी। रिया को अक्षय का यह रूप बहुत पसंद आया। वो सिर्फ़ एक इंजीनियर नहीं थे, बल्कि एक कहानीकार भी थे, जो अपने परिवार की यादों को बड़े प्यार से संजोए हुए थे।


दिन बीतते गए, और रिया और अक्षय की बातचीत बढ़ती गई। कभी चाय की चुस्कियों के साथ, तो कभी हवेली के आंगन में बैठकर, दोनों एक-दूसरे को बेहतर समझने लगे। रिया को अक्षय की सादगी और उनकी गहरी सोच आकर्षित कर रही थी, जबकि अक्षय को रिया की मासूमियत और उसकी छोटी-छोटी शरारतें मन को भा रही थीं।


मन में उलझन


लेकिन जैसे-जैसे दोनों की नज़दीकियाँ बढ़ रही थीं, रिया के मन में एक अजीब सी उलझन पैदा होने लगी। वो जानती थी कि अक्षय उसकी दीदी के पति हैं, और उनके बीच का रिश्ता सिर्फ़ जिजा-साली का होना चाहिए। लेकिन उसके दिल में कुछ और ही चल रहा था। वो हर बार अक्षय की बातों में खो जाती, उनकी मुस्कान में एक अजीब सी सुकून पाती।


एक रात, जब अनन्या देर से ऑफिस से लौटी, रिया ने उससे अपने मन की बात साझा करने की सोची। लेकिन वो डर रही थी। "अगर दीदी को गलत लगा तो?" उसने सोचा। आख़िरकार, उसने हिम्मत जुटाई और अनन्या से कहा, "दीदी, जिजाजी बहुत अच्छे इंसान हैं, ना?"


अनन्या ने हँसते हुए कहा, "हाँ, वो हैं। लेकिन तू इतनी तारीफ़ क्यों कर रही है? कुछ तो गड़बड़ है!" उसकी हँसी में कोई शक नहीं था, बस मज़ाक था।


रिया ने बात को टाल दिया, लेकिन उसके मन में सवाल उठने लगे। क्या ये सिर्फ़ एक मासूम सा आकर्षण था, या कुछ और? और अगर कुछ और था, तो क्या वो सही थ


सच्चाई का सामना


कुछ हफ्तों बाद, रिया को वापस अपने कॉलेज जाना था। लेकिन जाने से पहले, उसे अपने मन की बात साफ़ करनी थी। एक शाम, जब अक्षय और रिया आंगन में बैठे चाय पी रहे थे, रिया ने हिम्मत जुटाई।


"जिजाजी, मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूँ," उसने धीरे से कहा।


अक्षय ने उसकी ओर देखा, उनकी आँखों में एक सवाल था। "हाँ, बोलो।"


रिया ने गहरी साँस ली और कहा, "मुझे नहीं पता ये सही है या गलत, लेकिन मुझे लगता है कि मैं आपको पसंद करने लगी हूँ। ये सिर्फ़ जिजा-साली का रिश्ता नहीं है... मेरे लिए ये कुछ और है।"


अक्षय के चेहरे पर एक पल के लिए सन्नाटा छा गया। फिर वो धीरे से बोले, "रिया, तुम बहुत अच्छी लड़की हो। और मैं तुम्हारी बहुत इज़्ज़त करता हूँ। लेकिन तुम जानती हो, मेरा और अनन्या का रिश्ता कितना खास है। मैं तुम्हें कभी गलत नहीं समझूंगा, लेकिन ये जो तुम महसूस कर रही हो, शायद ये एक पल का आकर्षण है।"


रिया की आँखें नम हो गईं। उसने कहा, "मुझे पता है, जिजाजी। मैंने कभी नहीं चाहा कि इससे किसी को तकलीफ़ हो। बस, मैं अपने दिल की बात कहना चाहती थी।"


अक्षय ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, "रिया, तुम्हारा ये सच बोलना बहुत हिम्मत का काम है। और मैं वादा करता हूँ, ये बात यहीं खत्म होती है। तुम हमेशा मेरी छोटी बहन जैसी रहोगी।"





पाँचवाँ अध्याय: नई शुरुआत


रिया अगले दिन अपने कॉलेज के लिए रवाना हो गई। उसके दिल में एक हल्का सा दर्द था, लेकिन साथ ही एक सुकून भी। उसने अपने मन की बात कह दी थी, और अक्षय ने उसका सम्मान किया था। अनन्या को इस बात का कभी पता नहीं चला, और रिया ने भी इसे अपने दिल में दफ़न कर लिया।


कॉलेज में, रिया ने अपनी पढ़ाई और अपने दोस्तों में खो जाना शुरू किया। धीरे-धीरे, उसका दिल हल्का होने लगा। उसे एहसास हुआ कि प्यार कई रूपों में आता है, और कभी-कभी, उसे सिर्फ़ महसूस करना ही काफी होता है। अक्षय और अनन्या की शादी और मज़बूत हुई, और रिया उनकी ख़ुशी का हिस्सा बनकर खुश थी।


कुछ साल बाद, रिया की मुलाकात एक लड़के से हुई, जिसका नाम था रोहन। उसकी सादगी और हँसी में रिया को वही गर्माहट मिली, जो उसने कभी अक्षय में देखी थी। लेकिन इस बार, ये प्यार बिना किसी उलझन के था। रिया ने अपने दिल को खुलकर चाहने दिया, और रोहन के साथ उसकी ज़िंदगी की एक नई कहानी शुरू हुई।




जिजा-साली का रिश्ता, जो हँसी-मज़ाक और प्यार से भरा होता है, कभी-कभी अनजाने में दिल की गहराइयों को छू लेता है। लेकिन सच्चा प्यार वही है, जो रिश्तों की मर्यादा को समझे और सबके लिए ख़ुशी लाए। रिया की कहानी एक ऐसी ही कहानी थी, जो प्यार, सम्मान, और समझदारी का एक खूबसूरत मिश्रण थी।

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