जंगल का शापित रास्ता suspense story in Hindi || Hindi kahaniyan

 



जंगल का शापित रास्ता suspense story in Hindi || Hindi kahaniyan


यह कहानी एक छोटे से गांव की है, जो घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ था। गांव से कुछ दूरी पर एक पुराना मकान था, जहां एक महिला, सुनंदा, अपने दो बच्चों—16 साल की बेटी काव्या और 12 साल के बेटे रवि—के साथ रहती थी। सुनंदा एक छोटी सी दुकान में काम करती थी, जो गांव के बाजार में थी। उनका घर सुनसान इलाके में था, जहां रात के समय सन्नाटा छा जाता था।

एक दिन सुनंदा सुबह-सुबह काम पर निकल गई। बच्चों को खाना बनाकर और घर का काम निपटाकर वह हमेशा की तरह बाजार चली गई। बच्चों को हिदायत दी कि वे दरवाजा बंद रखें और किसी अनजान व्यक्ति को अंदर न आने दें। लेकिन उस दिन, सुनंदा शाम तक नहीं लौटी। बच्चे इंतजार करते रहे, लेकिन मां का कोई अता-पता नहीं था। रात गहराने लगी, और आसपास का सन्नाटा डरावना होने लगा। काव्या और रवि बार-बार खिड़की से बाहर झांकते, मां का रास्ता देखते, लेकिन कोई नहीं आया।

रात के करीब 11 बजे, अचानक दरवाजे पर खटखट की आवाज आई। काव्या और रवि दोनों सहम गए। काव्या ने हिम्मत करके दरवाजे की ओर कदम बढ़ाए और पूछा, "कौन है? मां, क्या तुम हो?" लेकिन जवाब में सिर्फ सन्नाटा था। कुछ देर बाद फिर से खटखट की आवाज आई। इस बार रवि डर के मारे अपनी दीदी से चिपक गया। काव्या ने फिर पूछा, "कौन है? बोलो!" तभी एक भारी, दबी हुई आवाज आई, "सुनंदा की तबीयत खराब है। जल्दी दरवाजा खोलो, हमें मदद चाहिए।"

काव्या को कुछ गड़बड़ लगी। उसने दरवाजा नहीं खोला और रवि को इशारा किया कि वह खामोश रहे। कुछ देर बाद फिर से दस्तक हुई, लेकिन इस बार आवाज तेज और गुस्से वाली थी, "दरवाजा खोलो, वरना अच्छा नहीं होगा!" काव्या का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसने रवि को पकड़कर घर के पीछे वाले कमरे में ले जाकर छिपा दिया और खुद भी एक अलमारी के पीछे छिप गई।

पूरी रात बच्चे डर के साये में काटते रहे। सुबह होने पर रवि ने हिम्मत करके बाहर झांका। घर में सन्नाटा था, और काव्या कहीं नजर नहीं आ रही थी। रवि घबरा गया। उसने पूरे घर में दीदी को ढूंढा, लेकिन काव्या गायब थी। मां भी नहीं लौटी थी। रवि का दिल बैठ गया। वह रोते हुए घर से बाहर निकला और पास के गांव की ओर भागा, जहां उसकी नानी रहती थी।

रवि किसी तरह अपनी नानी के घर पहुंचा और सारी बात बताई। नानी, जो एक बुजुर्ग और साहसी महिला थी, ने तुरंत गांव के कुछ लोगों को इकट्ठा किया। वे सुनंदा की दुकान पर गए, जहां पता चला कि सुनंदा पिछले दिन दोपहर में ही दुकान से निकल गई थी। लेकिन वह घर नहीं पहुंची। गांव वालों ने जंगल की ओर तलाश शुरू की, क्योंकि सुनंदा का रास्ता जंगल से होकर जाता था।

जंगल में एक पुराने, खंडहर मंदिर के पास उन्हें सुनंदा की चप्पल और उसकी टूटी हुई चूड़ियां मिलीं। गांव वालों को शक हुआ कि कुछ गड़बड़ है। तभी एक बुजुर्ग ने बताया कि उस इलाके में एक पुरानी कहानी है—एक शापित आत्मा के बारे में, जो रात में सुनसान घरों के दरवाजे खटखटाती है और जो दरवाजा खोलता है, उसे अपने साथ ले जाती है।

नानी ने इस बात को अंधविश्वास मानने से इनकार कर दिया और स्थानीय पुलिस को बुलाया। एक युवा इंस्पेक्टर, अजय, ने केस को गंभीरता से लिया। उसने अपने दो साथियों के साथ जंगल में तलाश शुरू की। कई घंटों की खोजबीन के बाद, उन्हें एक गुप्त भूमिगत कमरा मिला, जो खंडहर मंदिर के नीचे था। वहां उन्हें सुनंदा और काव्या दोनों बेहोश पड़ी मिलीं। उनके साथ एक अजनबी आदमी भी था, जो एक स्थानीय गुंडा था और मानव तस्करी के धंधे में शामिल था।

पुलिस ने उस आदमी को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि वह सुनंदा को अगवा करने की फिराक में था, क्योंकि वह उसकी खूबसूरती पर नजर रखता था। उस रात उसने सुनंदा को जंगल में रोक लिया और बेहोश करके मंदिर के नीचे ले गया। काव्या को अगवा करने के लिए वह रात को उनके घर गया था और दरवाजा खटखटाकर डराने की कोशिश की थी। जब काव्या ने दरवाजा नहीं खोला, तो वह पीछे के रास्ते से घर में घुसा और काव्या को अगवा कर लिया।

इंस्पेक्टर अजय और उसकी टीम की हिम्मत और नानी की सूझबूझ ने सुनंदा और काव्या को बचा लिया। उस गुंडे को सजा मिली, और गांव में फिर से शांति लौट आई। लेकिन रवि, काव्या, और सुनंदा के दिल में उस रात का डर हमेशा के लिए बस गया। गांव वालों ने उस खंडहर मंदिर को तोड़ दिया, ताकि कोई और सी घटना न हो।


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